*सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार से जुड़े 10 प्रमुख तथ्य*
सुपर 30 का नाम आज पूरा देश ही नहीं बल्कि सारी दुनिया जान चुकी है और इसके संस्थापक आनंद कुमार को भी। सुपर 30 एक ऐसा शैक्षणिक प्रोग्राम है जिसमें गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देकर सबसे कठिन मानी जाने वाले इंजीनियरिंग परीक्षा आईआईटी-जेईई को पास कर इंजीनियरिंग में प्रवेश दिलाया जाता है।जल्द ही आनंद कुमार पर एक फिल्म में आने वाली है, जिसका नाम 'सुपर 30' है। इस फिल्म में उनेका किरदार बॉलीवुड अभिनेता ऋतिक रोशन निभाएंगे। बीते साल बाल दिवस पर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आनंद कुमार को राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार भेंट किया। आज हम लाए हैं आनंद कुमार की जिंदगी से जुड़े कुछ अनसुने तथ्य-
सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार का जन्म बिहार की राजधानी पटना में 1973 में हुआ था। आनंद के पिता भारतीय डाक विभाग में क्लर्क थे।
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से उन्हें बचपन के दिनों में काफी संघर्ष करना पड़ा था। गरीबी के कारण उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल से ही पूरी की।
स्कूल में आनंद की पसंदीदा विषय गणित थी। गणित के क्षेत्र में अपने टैलेंट के दम पर उन्हें एक बार कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ने का मौका मिला। पर जब उन्हें वहां से बुलावा आया, तो वह खराब आर्थिक स्थिति के कारण जा नहीं पाये। उस समय वह इसके लिए 50 हजार रुपए भी नहीं जुटा पाए थे।
पिता की मृत्यु के बाद घर की सारी जिम्मेदारी आनंद के कंधों पर आ गई थी। पारिवारिक स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई। तब आनंद की मां ने पापड़ बनाने शुरू किए। मां के बनाए पापड़ को आनंद अपनी साइकिल पर लेकर हर दिन बेचते थे।
घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आनंद ने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। हालांकि वह खुद गरीबी में पढ़े-लिखे थे। जिसके चलते वह पढ़ाई के लिए ज्यादा फीस बच्चों से नहीं लेते थे।
हर शुक्रवार को आनंद कुमार पटना से वाराणसी जाते थे। वाराणसी जाने के बाद वहां सेंट्रल लाइब्रेरी बीएचयू में फॉरेन जनरल्स की किताब पढ़ते थे। 2 दिन वहां रहने के बाद सोमवार को वह बनारस से वापस लौटते थे।
गरीब बच्चों के मसीहा कहे जाने आनंद कुमार ने 2 बच्चों के साथ अपना इंस्टिट्यूट 'रामानुजन स्कूल ऑफ मैथेमैटिक्स' खोला था। इस स्कूल में एडमिशन के नाम पर कोई स्टूडेंट 100 रुपए तो कोई 200 देता था। इस इंस्टिट्यूट में मात्र 2 साल के अंदर ही वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 500 के करीब पहुंच गई।
उनकी इंस्टिट्यूट में एक बार एक बच्चा आया जिसके पास पैसे नहीं थे। बावजूद इसके वह पढ़ना चाहता था। उस बच्चे की यह बात आनंद कुमार के दिलों को छू गई। तब उन्होंने सुपर 30 नामक एक संस्था की शुरुआत की। जहां उन्होंने गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाई देने का फैसला किया।
आनंद कुमार का पूरा परिवार सुपर 30 में शामिल है। उनकी मां और पत्नी सुपर 30 में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए खाने की देखरेख करती हैं और उनके भाई सुपर 30 के मैनेजमेंट को संभालते हैं।
साल 2009 में, डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर एक प्रोग्राम दिखाया था। न्यूयॉर्क टाइम्स भी आनंद कुमार और उनके सुपर 30 के बारे में भी लिख चुका है। कनाडा में रहने वाले मनोचिकित्सक बीजू मैथ्यू ने कुमार की कठिनाइयों पर एक बायोग्रफी लिखी है।
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